Sadhana Shahi

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लेखनी कहानी -29-Sep-2024

दिनांक -29.09.2024 दिवस- रविवार विषय- काश! कोई ऐसा होता है जो बिन कहे समझ लेता

काश! जीवन में कोई ऐसा भी होता, अधर भी ना खुलते समझ मुझको लेता।

सपने कभी ना हमारे बिखरते, साहिल पे नइया ना कोई डूबोता।

गुल की चाह करके खता मैं ना करती, शूलों को कोई न राहों में बोता।

पथ में अंगारे न मुझको जलाते, उदासी भंँवर कामयाबी न खोता।

मुस्कुराहट के पीछे अश्कों को छुपा के, जीवन कभी ऐसा जीना न होता।

साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

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